राह बदलती नहीं
राह बदलती नहीं-प्यार ही सहसा मर जाता है, संगी बुरे नहीं तुम-यदि नि:संग हमारा नाता है स्वयंसिद्ध है बिछी हुई यह जीवन की हरियाली- जब तक हम मत बुझें सोच कर-'वह पड़ाव आता है!'

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