किरण मर जाएगी
लाल होके झलकेगा भोर का आलोक- उर का रहस्य ओठ सकेंगे न रोक। प्यार की नीहार-बूँद मूक झर जाएगी! इसी बीच किरण मर जाएगी! ओप देगा व्योम श्लथ कुहासे का जाल- कड़ी-कड़ी छिन्न होगी तारकों की माल। मेरे माया-लोक की विभूति बिखर जाएगी! इसी बीच किरण मर जाएगी!

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