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कोई कहे या न कहे
कोई कहे या न कहे
अज्ञेय
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Hindi
यह व्यथा की बात कोई कहे या न कहे। सपने अपने झर जाने दो, झुलसाती लू को आने दो पर उस अक्षोभ्य तक केवल मलय समीर बहे। यह बिदा का गीत कोई सुने या सुने। मेरा पथ अगम अँधेरा हो, अनुभव का कटु फल मेरा हो वह अक्षत केवल स्मृति के फूल चुने!
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Last edited by
Chhotaladka
August 22, 2017
Added by
Chhotaladka
March 31, 2017
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