एक दिन जब
एक दिन जब सिवा अपनी व्यथा के कुछ याद करने को नहीं होगा- क्यों कि कृतियाँ दूसरों के याद करने के लिए हैं : एक दिन जब दे न पाया जो, उसी की नोक बेबस सालती रह जाएगी- क्यों कि दे पाया अगर कुछ, याद उस को आज मैं करता नहीं हूँ, और, जीवन! शक्ति दो उस दिन न चाहूँ याद करना : एक दिन जब प्यार से, संघर्ष से, आक्रोश से, करुणा-घृणा से, रोष से, विद्वेष से, उल्लास से, निविड सब संवेदनाओं की सघन अनुभूति से बँधा वेष्टित, विद्ध जीवन की अनी से-स्वयं अपने प्यार से- एक दिन जब हाय! पहली बार!- जानूँगा कि जीवन जो कभी हारा नहीं था, हारता ही किसी से जो नहीं, अपने से चला अब हार: एक दिन-उस दिन-जिसे अपनी पराजय भी दे सकूँगा समुद, नि:संकोच उसी को आज अपना गीत देता हूँ।

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