सीढ़ियाँ
अम्बार है जूठी पत्तलों का : निश्चय ही पाहुने आये थे। बिखरी पड़ी हैं डालियाँ-पत्तियाँ : किसी ने तोरण सजाये थे। गली में मचा है कोहराम भारी : मुफ़्त का पैसा किसी ने पाया था। उठती है आवाज तीखे क्रन्दन की : निश्चय ही कोई बहू लाया था।

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