चातक पिउ बोलो
चातक पिउ बोलो बोलो! झम-झम-झम पानी सुन-सुन रात बिहानी दिग्वधु! घूँघट खोलो खोलो! नभ खुल-खुल खिल आया भू-पट हरियाया मन-विहग! पंख तोलो तोलो!

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