गजर
गजर बजता है और स्वर की समकेन्द्र लहरियाँ फैल जाती हैं काल के अछोर क्षितिजों तक। तुम : जिस पर मेरी टकराहट : इस वर्तमान की अनुभूति से फैलाता हुआ हमारे भाग का वृत्त अतीत और भविष्यत् काल के अछोर क्षितिजों तक।

Read Next