सागर मुद्रा - 13
ओ सागर ओ मेरी धमनियों की आग, मेरे लहू के स्पन्दित राज-रोग, सागर ओ महाकाल ओ जीवन दिग्विहीन आगम, प्रत्यागम निरायाम, द्वारहीन निर्गमन, सागर, ओ जीवन-लय, ओ स्पन्द! ओ सदा सुने जाते मौन, ओ कभी न सुने गये विराट् विस्फोट निःशेष : ओ मेघ, ओ ज्वार, ओ बीज, ओ विदाध, ओ रावण, ओ कीट-दंश! ओ रविचुम्बी गरुड़, ओ हारिल, ओ आँगन के नृत्य-रत मयूर! ओ अहल्या के राम, ओ सागर! लहर पर लहर पर लहर पर लहर...

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