कौन-सी लाचारी
कौन-सी लाचारी से नाल पर, खिली यह कली फूलदान में- मूल से कटी हुई? वही क्या हम में नहीं हैं जो काल के डंठल पर, खिल रहे हैं अनादि कूल से कटे?

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