मैं ने ही पुकारा था
ठीक है मैं ने ही तेरा नाम ले कर पुकारा था पर मैं ने यह कब कहा था कि यों आ कर मेरे दिल में जल? मेरे हर उद्यम में उघाड़ दे मेरा छल, मेरे हर समाधान में उछाला कर सौ-सौ सवाल अनुपल? नाम : नाम का एक तरह का सहारा था। मैं थका-हारा था पर नहीं था किसी का गुलाम। पर तूने तो आते ही फूँक दिया घर-बार हिये के भीतर भी जगा दिया नया हाहाकार ओ मेरे राम!

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