पाठभेद
एक जगत् रूपायित प्रत्यक्ष एक कल्पना सम्भाव्य। एक दुनिया सतत मुखर एक एकान्त निःस्वर एक अविराम गति, उमंग एक अचल, निस्तरंग। दो पाठ एक ही काव्य।

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