अभागे, गा!
मरता है? जिस का पता नहीं उस से डरता है? -गा! जीता है? आस-पास सब कुछ इतना भरा-पुरा है और बीच में तू रीता है? -गा! दुःख से स्वर टूटता है? छन्द सधता नहीं, धीरज छूटता है? -गा! याकि सुख से ही बोलती बन्द है? रोम सिहरे हैं, मन निःस्पन्द है? -फिर भी गा! अभागे, गा!

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