सपने में
सपने में अनजानी की पलकें मुझ पर झुकीं गाल मेरे पुलकाती सरक गयीं गीली अलकें मेरे चेहरे को लौट-लौट सहला मुझ को सिहरा कर निकल गयीं। मैं जाग गया जागा हूँ उस अनपहचानी के अनुराग पगा : वह कौन? कहाँ? अनजानी: अन्धकार को ताक रहा मैं आँखें फाड़े ठगा-ठगा! महावृक्ष के नीचे

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