स्वप्न
धुएँ का काला शोर: भाप के अग्निगर्भ बादल: बिना ठोस रपटन में उगते, बढ़ते, फूलते अन्तहीन कुकुरमुत्ते, न-कुछ की फाँक से झाँक-झाँक, झुक कर झपटने को बढ़ रहे भीमकाय कुत्ते। अग्नि-गर्भ फैल कर सब लील लेता है। केवल एक तेज—एक दीप्ति: न उस का, न सपने का कोई ओर-छोर: बिना चौंके पाता हूँ कि जाग गया हूँ। भोर...

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