प्रियतम, आज बहुत दिन बाद
प्रियतम, आज बहुत दिन बाद! आँखों में आँसू बन चमकी तेरी कसक भरी-सी याद! आज सुना है युगों-युगों पर तेरे स्वर का मीठा मर्मर- जिसे डुबाये था अब तक जग का वह निष्फल रौरव-नाद! प्रियतम, आज बहुत दिन बाद! छिन्न हुआ अँधियारा अम्बर, चला लोचनों से बह झर-झर विपुल राशि में संचित था जो मेरे प्राणों में अवसाद! प्रियतम, आज बहुत दिन बाद! रो लेने दो मुझ को जी भर-यही आज सुख सब से बढ़ कर! मुझे न रोको आज कि मुझ पर छाया है उत्कट उन्माद! प्रियतम, आज बहुत दिन बाद!

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