खुला आसमान
बहुत दिनों बाद खुला आसमान! निकली है धूप, खुश हुआ जहान! दिखी दिशाएँ, झलके पेड़, चरने को चले ढोर--गाय-भैंस-भेड़, खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़-- लड़कियाँ घरों को कर भासमान! लोग गाँव-गाँव को चले, कोई बाजार, कोई बरगद के पेड़ के तले जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले, तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान! पनघट में बड़ी भीड़ हो रही, नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी, बातें करती हैं वे सब खड़ी, चलते हैं नयनों के सधे बाण!

Read Next