मैं गाती हूँ
मैं गाती हूँ, पर गीतों के भाव जगाने वाला तू, मैं गति हूँ, पर मेरी गति में जीवन लाने वाला तू! मैं वीणा हूँ-या हूँ उस के टूटे तारों की वाणी- उस से सम्मोहन, संजीवन ध्वनि उपजाने वाला तू! मैं आरती किन्तु प्राणों के मंगल-दीप जलाता तू, मैं बहुरंगों की बिछलन, पर उस से चित्र बनाता तू! तुहिन-बिन्दु मैं किन्तु किरण तू उस को चमकाने वाली- मैं प्रेरण, तू जीवनदाता, मैं प्रतिमा, निर्माता तू!

Read Next