कौन है?
कुमुद-दल से वेदना के दाग़ को, पोंछती जब आंसुवों से रश्मियां; चौंक उठतीं अनिल के निश्वास छू, तारिकायें चकित सी अनजान सी; तब बुला जाता मुझे उस पार जो, दूर के संगीत सा वह कौन है? शून्य नभ पर उमड़ जब दुख भार सी, नैश तम में, सघन छा जाती घटा; बिखर जाती जुगनुओं की पांति भी, जब सुनहले आँसुवों के हार सी; तब चमक जो लोचनों को मूंदता, तड़ित की मुस्कान में वह कौन है? अवनि-अम्बर की रुपहली सीप में, तरल मोती सा जलधि जब काँपता; तैरते घन मृदुल हिम के पुंज से, ज्योत्सना के रजत पारावार में सुरभि वन जो थपकियां देता मुझे, नींद के उच्छवास सा, वह कौन है? जब कपोलगुलाब पर शिशु प्रात के सूखते नक्षत्र जल के बिन्दु से; रश्मियों की कनक धारा में नहा, मुकुल हँसते मोतियों का अर्घ्य दे; स्वप्न शाला में यवनिका डाल जो तब दृगों को खोलता वह कौन है?

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