विरह का जलजात जीवन
विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात! वेदना में जन्म करुणा में मिला आवास; अश्रु चुनता दिवस इसका, अश्रु गिनती रात! जीवन विरह का जलजात! आँसुओं का कोष उर, दृगु अश्रु की टकसाल; तरल जल-कण से बने घन सा क्षणिक् मृदु गात! जीवन विरह का जलजात! अश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमास! अश्रु ही की हाट बन आती करुण बरसात! जीवन विरह का जलजात! काल इसको दे गया पल-आँसुओं का हार; पूछता इसकी कथा निश्वास ही में वात! जीवन विरह का जलजात! जो तुम्हारा हो सके लीलाकमल यह आज, खिल उठे निरुपम तुम्हारी देख स्मित का प्रात! जीवन विरह का जलजात!

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