कौन तुम मेरे हृदय में?
कौन तुम मेरे हृदय में? कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित कौन प्यासे लोचनों में घुमड़ घिर झरता अपरिचित? स्वर्ण-स्वप्नों का चितेरा नींद के सूने निलय में? कौन तुम मेरे हृदय में? अनुसरण निश्वास मेरे कर रहे किसका निरन्तर चूमने पदचिन्ह किसके लौटते यह श्वास फिर फिर? कौन बन्दी कर मुझे अब बँध गया अपनी विजय में? कौन तुम मेरे हृदय में? एक करुण अभाव में चिर- तृप्ति का संसार संचित; एक लघु क्षण दे रहा निर्वाण के वरदान शत शत; पा लिया मैंने किसे इस वेदना के मधुर क्रय में? कौन तुम मेरे हृदय में? गूँजता उर में न जाने दूर के संगीत सा क्या! आज खो निज को मुझे खोया मिला, विपरीत सा क्या? क्या नहा आई विरह-निशि मिलन मधु-दिन के उदय में कौन तुम मेरे हृदय में? तिमिर-पारावार में आलोक-प्रतिमा है अकम्पित आज ज्वाला से बरसता क्यों मधुर घनसार सुरभित? सुन रही हूँ एक ही झंकार जीवन में, प्रलय में! कौन तुम मेरे हृदय में? मूक सुख दुःख कर रहे मेरा नया श्रृंगार सा क्या? झूम गर्वित स्वर्ग देता- नत धरा को प्यार सा क्या? आज पुलकित सृष्टि क्या करने चली अभिसार लय में? कौन तुम मेरे हृदय में?

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