फीकी फीकी शाम
फीकी फीकी शाम हवाओं में घुटती घुटती आवाजें यूँ तो कोई बात नहीं पर फिर भी भारी भारी जी है, माथे पर दु:ख का धुँधलापन, मन पर गहरी गहरी छाया मुझको शायद मेरी आत्मा नें आवाज कहीं से दी है!

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