अनाम
सख्त रेशम के नरम स्पर्श की वह धार उसको नाम क्या दूँ? एक गदराया हुआ सुख, एक विस्मृति, एक डूबापन काँपती आतुर हथेली के तले वह फूल सा तन हर छुवन जिसको बनाती और ज्यादा अनछुआ नशा तन का, किंतु तन से दूर-तन के पार अँधेरे में दीखता तो नहीं पर जो फेंकता है दूर तक- लदबदायी खिली खुशबू का नशीला ज्वार हरसिंगार सा वह प्यार उसको क्या नाम दूँ? वह अजब, बेनाम, बे-पहचान, बे-आकार उसको नाम क्या दूँ?

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