अचानक हुआ भाग्योदय
कल या कि परसों हुआ एकाएक भाग्योदय पकड़ लिया मल्का-ए-तरन्नुम नूरजहाँ को रेडियो पाकिस्तान से प्रसारित प्रोग्राम में सुनाई पड़ी उस सुकण्ठी की स्वर लहरी ‘कजरारी अँखियों में निदिया न आए जिया घबराए पिया नहिं आए कजरारी अँखियाँ में ......’ सारा दिन सारी रात गूँजती रहीं मेरे कर्ण-कुहरों में गीत की कड़ियाँ हुआ अचानक भाग्योदय कई वर्षों बाद कल या कि परसों !

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