मुबारक हो नया साल
फलाँ-फलाँ इलाके में पड़ा है अकाल खुसुर-पुसुर करते हैं, ख़ुश हैं बनिया-बकाल छ्लकती ही रहेगी हमदर्दी साँझ-सकाल --अनाज रहेगा खत्तियों में बन्द ! हड्डियों के ढेर पर है सफ़ेद ऊन की शाल... अब के भी बैलों की ही गलेगी दाल ! पाटिल-रेड्डी-घोष बजाएँगे गाल... --थामेंगे डालरी कमंद ! बत्तख हों, बगले हों, मेंढक हों, मराल पूछिए चलकर वोटरों से मिजाज का हाल मिला टिकट ? आपको मुबारक हो नया साल --अब तो बाँटिए मित्रों में कलाकंद !

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