व्यंग्य एक नश्तर है
व्यंग्य एक नश्तर है ऐसा नश्तर, जो समाज के सड़े-गले अंगों की शल्यक्रिया करता है और उसे फिर से स्वस्थ बनाने में सहयोग भी। काका हाथरसी यदि सरल हास्यकवि हैं तो उन्होंने व्यंग्य के तीखे बाण भी चलाए हैं। उनकी कलम का कमाल कार से बेकार तक शिष्टाचार से भ्रष्टाचार तक विद्वान से गँवार तक फ़ैशन से राशन तक परिवार से नियोजन तक रिश्वत से त्याग तक और कमाई से महँगाई तक सर्वत्र देखने को मिलता है।

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