काका या संसार में, व्यर्थ भैंस अरु गाय।
मिल्क पाउडर डालकर पी लिपटन की चाय॥
पी लिपटन की चाय साहबी ठाठ बनाओ।
सिंगल रोटी छोड़ डबल रोटी तुम खाओ॥
कहँ ‘काका' कविराय, पैंट के घुस जा अंदर।
देशी बाना छोड़ बनों अँग्रेजी बन्दर॥
जप-तप-तीरथ व्यर्थ हैं, व्यर्थ यज्ञ औ योग।
करज़ा लेकर खाइये नितप्रति मोहन भोग॥
नितप्रति मोहन भोग, करो काया की पूजा।
आत्मयज्ञ से बढ़कर यज्ञ नहीं है दूजा॥
कहँ ‘काका' कविराय, नाम कुछ रोशन कर जा।
मरना तो निश्चित है करज़ा लेकर मर जा॥