दिन का दर्पण
दिन का दर्पण नित्य दिखाता दिनकर, संप्रेषित करता दर्पण से, अवनी तल का व्यापक अंक, जहाँ- अतुल अनुमोदन होता, अविनश्वर अनुरंजक। मैं अनुरंजक आमोदन का आसव पीता हूँ जग में जीवन अविकल जीता हूँ।

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