हँस रहा है उधर
हँस रहा है उधर धूप में खड़ा पूरा पहाड़ खोल कर मोटे बड़े होंठ । और चट्टानी जबड़े । रो रहा है इधर शोक में पड़ा जन-समुदाय काट कर कामकाजी हाथ तोड़ कर छाती तगड़ी ।

Read Next