भोगने दो मुझे
भोगने दो मुझे लय न पा सकी, विलाप-व्याकुल कविता की यातना। भोगने दो मुझे बलात प्रताड़ित विकल बेबस विचार की यातना। भोगने दो मुझे होंठ से अटकी क्रान्तिकारी पुकार की यातना। भोगने दो मुझे अंधकार में जल रही मौन मशाल की यातना। भोगने दो मुझे आदमियों के बीच आदमियों की बनाई हुई यातना।

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