अब भी है कोई चिड़िया
अब भी है कोई चिड़िया जो सिसक रही है नील गगन के पंखों में नील सिंधु के पानी में; मैं उस चिड़िया की सिसकन से सिहर रहा हूँ वह चिड़िया मानव का आकुल अमर हृदय है।

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