रवि के खरतर शर से मारी
रवि के खरतर शर से मारी, क्षीण हुई तन-मन से हारी, केन हमारी तड़प रही है गरम रेत पर जैसे बिजली बीच अधर में घन से छूटी तड़प रही है।

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