ऊपर ऊपर
ऊपर ऊपर कली कली जब काल छली चुन लेगा तब इस भू पर मूल मध्य से वंश कली का फिर उपजेगा, दल के दल केशर-पराग भर, मुख-रस से भू-रज-विराग हर, गंध-दान कर प्रवाहमान को रूप-दान कर नवविहान को काल कली के वृन्त-वृन्त पर सुमन सहर्ष सदल विकसेगा।

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