घंटियों की आवाज़ से घायल
घण्टियों की आवाज़ से घायल कराहता, आह भरता धृष्ट अंधकार बेघरबार नापता डगों से वार-पार ठहर गया है संसार के ऊपर (जैसे शोक का अशुभ समाचार)

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