बहुत दिन हो गए
बहुत दिन हो गए हैं तुम्हें दर्पण को देखे न आओगी क्या अब उसमें सदेह सामने। तुम्हारी प्रतीक्षा में है वह दीवार से वहीं टिका खड़ा है।

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