अविराम बज रही हैं ब्राजन स्वरों से
अविराम बज रही हैं ब्राजन स्वरों से सघोष, काँसे की सरोष घंटियाँ अविराम हताहत हो रहा है तमांध अमोघ ओजस्वी स्वरों से हारता।

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