नूतन का आलोक
पुरातन की बाँहों में नहीं बंधेगा,
यह अभिनव आलोक
सभासद अथवा मंत्री
उस संसद का नहीं बनेगा :
जिस संसद का
नाम-काम गुण-गौरव-गायन
पतझर को विस्तार दिए है
जिस संसद की दृष्टि भ्रष्ट है,
सृष्टि कष्ट है,
जिस संसद को जन-मन-दोहन पुष्ट किए है।