राधा की आशा
गोकुल सेना में भरती हो लड़ने को रंगून गया था लेकिन अपनी प्रिय राधा को अपने आने की आशा में बेनिगरानी छोड़ गया था वह तो खंदक में लड़ता था टामीगन की बौछारों से बैरी की हत्या करता था राधा को-प्यारी राधा को भूला ही भूला रहता था राधा आशा में बैठी थी: गोकुल तो घर आएगा ही बाहों में बँध जाएगा ही राधा में रम जाएगा ही राधा का हो जाएगा ही लेकिन गोकुल गया न आया बैरी ने गोकुल को मारा खंदक ने उसको खा डाला बेचारी राधा जीती थी झूठी आशा में बैठी थी।

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