पहली बार
अब इस बार पहली बार सिंह और पंडित की वर्ण-माला तोड़ी गई, तपे हुए लोहे को चुना गया लोकसभा का चुनाव लड़ने को। चक्कर मक्कारों का नहीं चला शोषक श्रीमंतों का दाँव भी नहीं चला, ऊँचे अब नीचे हुए पानी बिना सूखे हुए

Read Next