जब-तब
जब कलम ने चोट मारी तब खुली वह खोट सारी तब लगे तुम वार करने झूठ से संहार करने सोचते हो मात दोगे जुल्म के आघात दोगे सत्य का सिर काट लोगे रक्त जीवन चाट लोगे भूल जाओ यह न होगा जो हुआ है वह न होगा लेखनी से वार होगा वार से ही प्यार होगा कल नगर गर्जन करेगा क्रोध विष वर्षन करेगा सत्य से परदा फटेगा झूठ का तब सिर कटेगा

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