अफसर / कहें केदार खरी खरी
ये बड़कवे, पुराने, गब्बर, पेटू अफसर चाल-फेर से चला रहे हैं राजतंत्र का चक्कर-मक्कर अब तक-अब तक, इनसे पककर टूट रही है जनता थककर, इन्हें हटा पाना है मुश्किल, इनके आगे एक नहीं चल पाती अक्किल।

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