देखा, पास पहुँचकर देखा
देखा, पास पहुँचकर देखा ‘हेमहार’ तरु अमलतास को। मुझको आए याद ‘निराला’! काव्य-कृती को मैंने झुककर नमन किया, फिर से उनके साथ जिया। पत्र-पुष्प के उनके अक्षर गीत सुने, गुन-कौरव के गुरुतर अर्थ गुने। अतिशय हर्ष-हिलोर हुआ, भास्वर भाव- विभोर हुआ!

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