मौत को साधे शब्द
मौत को साधे शब्द अंतरंग से बाहर यथार्थ की दुनिया में आए, अकुलाए सर्वत्र टकराए। भोगते-भोगते देश-काल की विसंगतियाँ; न सच तक पहुँच पाए, न असत्य को उखाड़ पाए; न वर पाए वरेण्य मानवीय बोध; न कर पाए अपना या दूसरों का शोध- दहन-दाह के प्रतिकूल- आत्म-प्रसार के अनुकूल; बस, झाँकते शब्द झाँकते रहे- बुदबुदाते शब्द बुदबुदाते रहे- काल से कवलित होते-होते दृश्य से अदृश्य में विगलित होते शब्द होते रहे अशब्द।

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