जी आया
जी आया अपने जीवन के अस्सी साल अब आ पहुँचा इक्यासी में। प्राण पुष्ट मैं इसे जिऊँगा, तम को ताने तना रहूँगा, नहीं झुकूँगा नहीं झुकूँगा। नए साल में नया लिखूँगा, नए लिखे में नया दिखूँगा, सत्य समर्पित सधा रहूँगा, शब्द अर्थ का श्रमिक बनूँगा।

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