बिजली बनी
बिजली बनी काँच की चूड़ी, चम-चम चमकी चढ़ी कलाई- खन-खन खनकी, काम-कुंड में डूबी। यही पहेली अनबूझी थी- मैंने बूझी- मुझको अच्छी सूझी

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