सब कुछ देखा
सब कुछ देखा, फिर-फिर देखा, जो देखा वह देखा देखा। देखे में कुछ नया न देखा, हेर-फेर का प्रचलन देखा, दूषण देखा, शोषण का अपलेपन देखा। अपलेपन का पीड़न देखा, झोंपड़ियों को रोते देखा, अठमहलों को हँसते देखा, जाली मालामाली देखी, कंगाली बदहाली देखी, दुनियादारी डसती देखी धरती नीचे धँसती देखी।

Read Next