प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही हैं
प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही हैं हीरक सी वह याद बनेगा जीवन सोना, जल जल तप तप किन्तु खरा इसको है होना! चल ज्वाला के देश जहाँ अङ्गारे ही हैं! तम-तमाल ने फूल गिरा दिन पलकें खोलीं मैंने दुख में प्रथम तभी सुख-मिश्री घोली! ठहरें पल भर देव अश्रु यह खारे ही हैं! ओढे मेरी छाँह राज देती उजियाला, रजकण मृदु-पद चूम हुए मुकुलों की माला! मेरा चिर इतिहास चमकते तारे ही हैं! आकुलता ही आज हो गई तन्मय राधा, विरह बना आराध्य द्वैत क्या कैसी बाधा! खोना पाना हुआ जीत वे हारे ही हैं!

Read Next