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जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा
जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा
Kaifi Azmi
#
Hindi
जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा बिछड़ के उन से सलीक़ा न ज़िंदगी का रहा लबों से उड़ गया जुगनू की तरह नाम उस का सहारा अब मिरे घर में न रौशनी का रहा गुज़रने को तो हज़ारों ही क़ाफ़िले गुज़रे ज़मीं पे नक़्श-ए-क़दम बस किसी किसी का रहा
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Chhotaladka
March 24, 2017
Added by
Chhotaladka
March 24, 2017
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