अभी-अभी हटी है
अभी-अभी हटी है मुसीबत के काले बादलों की छाया अभी-अभी आ गयी-- रिझाने, दमित इच्छाओं की रंगीन माया लगता है कि अभी-अभी ज़रा-सी गफ़लत में होगा चौपट किया-कराया ठिकाने तलाश रही है चाटुकारों की भीड़ शंख फूँकने लगे नये-नये कुवलयापीड़ फिर से पहचान लो, वाद्यवृन्दों में पुरानी गमक और मीड़ दिखाई दे गये हैं गीध के शावकों को अपने नीड़

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