देवरस-दानवरस
देवरस-दानवरस पी लेगा मानव रस होंगे सब विकृत-विरस क्या षटरस, क्या नवरस होंगे सब विजित-विवश क्या तो तीव्र क्या तो ठस देवरस- दानवरस पी लेगा मानव रस सर्वग्रास-सर्वत्रास होगा अब इतिहास फैलाएगा उजास पशु-विप्लव पशु-विलास जन-लक्ष्मी अति उदास छोड़ेगी बस उसाँस चरेगी हरी घास संस्कृति की गलित लाश कूड़ों के आस-पास ढूंढेंगे प्रात-राश ग्रामदास- नगरदास देखेगा जग विकास अंत्योदय-अंत्यनाश होगा अब इतिहास सर्वत्रास-सर्वग्रास

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