इन सलाखों से टिकाकर भाल
इन सलाखों से टिकाकर भाल सोचता ही रहूँगा चिरकाल और भी तो पकेंगे कुछ बाल जाने किस की / जाने किस की और भी तो गलेगी कुछ दाल न टपकेगी कि उनकी राल चाँद पूछेगा न दिल का हाल सामने आकर करेगा वो न एक सवाल मैं सलाखों से टिकाए भाल सोचता ही रहूँगा चिरकाल

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